जन्माष्टमी का पर्व हर सल भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस बार यह अष्टमी तिथ 11 अगस्त को सुबह 09:06 बजे शुरू हो रही है और 12 अगस्त को सुबह 11:16 बजे समाप्त हो रही है। यानी अष्टमी तिथि मंगलवार की सुबह से बुधवार को 11 बजे तक है। ऐसे में इस साल 11 और 12 अगस्त को दो दिन जन्माष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है। कुछ लोग 11 अगस्त को व्रत कर रहे हैं तो कुछ 12 अगस्त को व्रत कर रहे हैं। लेकिन अष्टमी तिथि में रोहिण नक्षत्र नहीं है। लेकिन धर्माचार्यों के अनुसार, लोग 12 अगस्त को रात 12:05 बजे से 12:48 बजे की बीच शुभ मुहूर्त में जन्माष्टमी पूजा कर सकते हैं।
देशभर में कोरोना वायरस महामारी संकट को देखते हुए मथुरा के प्रमुख मंदिरों में जन्माष्टमी की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं लेकिन इस दौरान भक्तोंका प्रवेश वर्जित रहेगा। लोग अपने घरों से जन्माष्टमी उत्सव का लाइव प्रसारण देख सकेंगे।
हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, प्रत्येक धार्मिक उत्सव या व्रत के अपने कुछ नियम व मान्यताएं होती हैं। कहा जाता है कि इन मान्यताओं का पालन करने पर ही व्रत/पूजा का शुभ फल प्राप्त होता है। आगे जानिए जन्माष्टमी कौन से काम नहीं करना चाहिए।
जन्माष्टमी व्रत में न करें ये 6 काम
1- किसी का अनादर न करें
भगवान ने प्रत्येक इंसान को समान बनाया है इसलिए किसी का भी अमीर-गरीब के रूप में अनादर या अपमान न करें। लोगों से विनम्रता और सहृदयता के साथ व्यवहार करें। आज के दिन दूसरों के साथ भेदभाव करने से जन्माष्टमी का पुण्य नहीं मिलता।
2- तामसिक आहार न लें मान्यता है कि जिस घर में भगवान की पूजा की जाती हो या कोई व्रत रखता हो उस घर के सदस्यों को जन्माष्टमी के दिन लहसुन और प्याज जैसी तामसिक चीजों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इस दिन पूरी तरह से सात्विक आहार की ग्रहण करना चाहिए।
3- ब्रह्मचर्य का पालन करें मान्यता है कि जन्माष्टमी के दिन स्त्री-पुरुष को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। ऐसा न करने वालों को पाप लगता है।
4- गायों को न सताएं मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण को गौ अति प्रिय हैं। इस दिन गायों की पूजा और सेवा करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। किसी भी पशु को सताना नहीं चाहिए।
5- चावल या जौ का सेवन न करें। शास्त्रों के अनुसार, एकादशी और जन्माष्टमी के दिन चावल या जौ से बना भोजन नहीं खाना चाहिए। चावल को भगवान शिव का रूप भी माना गया है।
6- रात 12 से पहले न खालें व्रत पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जन्माष्टमी का व्रत करने वाले को भगवान श्रीकृष्ण के जन्म होने तक यानी रात 12 बजे तक ही व्रत का पालन करन चाहिए। इससे पहले अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए। बीच में व्रत तोड़ने वालों को व्रत का फल नहीं मिलता।
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