मंगला गौरी व्रत उद्यापन विधि के बारे में जानने से आप इस व्रत का पूर्ण लाभ प्राप्त कर सकती है। मंगला गौरी का व्रत सावन सोमवार के अगले दिन मंगलवार को रखा जाता है। इसी प्रकार मंगला गौरी के अन्य व्रत भी सावन के सभी मंगलवार को रखा जाएगा। शास्त्रों में मंगला गौरी के व्रत का महत्व बहुत अधिक बताया गया है। इस व्रत को करने से विवाह संबंधी सभी ग्रह बाधा समाप्त होती है। अगर कोई सुहागन स्त्री इस व्रत को करती है तो उसे वैवाहिक सुख, संतान सुख आदि सभी सुखों की प्राप्ति होती है। तो आइए जानते हैं मंगला गौरी व्रत की उद्यापन विधि के बारे में..
मंगला गौरी व्रत उद्यापन विधि
1.सबसे पहले मंगला गौरी व्रत का उद्यापन करने वाली महिला या कन्या को सुबह जल्दी उठना चाहिए उसके बाद नहाकर लाल वस्त्र धारण करने चाहिए। 2. इसके बाद पुराहित और सोलह सुहागन स्त्रियों को भोजन के लिए आमंत्रित करें। 3. अगर कोई सुहागन महिला मंगला गौरी व्रत का उद्यापन कर रही है तो उसे अपने पति के साथ हवन करना चाहिए। 4.इस व्रत की उद्यापन विधि अगर कोई कन्या पूरी कर रही है तो उसे अपने माता- पिता के साथ हवन करना चाहिए। 5. इसके बाद मां गौरी का मंगला गौरी व्रत की तरह ही विधिवत पूजन करें और मां को लाल वस्त्र और श्रृंगार का सभी समान अर्पित करें।
6.मां मंगला गौरी के हवन में पूरे परिवार को सम्मिलित होना चाहिए। हवन के बाद माता मंगला गौरी की आरती उतारें। 7.मां मंगला की आरती उतारने के बाद सभी में प्रसाद वितरण करें। 8.सभी पूजा विधि संपन्न करने के बाद मां गौरी से किसी भी प्रकार की भूल के लिए श्रमा मांगे। 9. इसके बाद पुरोहित जी और सभी सोलह स्त्रियों को भोजन कराएं। 10. भोजन कराने के बाद सभी स्त्रियों को सुहाग की चीजें उपहार में दें।
मंगला गौरी व्रत कब किया जाता है मंगाल गौरी व्रत मां गौरा यानी मां पार्वती के लिए किया जाता है। शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव और माता पार्वती को श्रावण का महिना अत्याधिक प्रिय है। इसलिए मंगला गौरी का व्रत श्रावण मास के प्रत्येक मंगलवार को किया जाता है। मंगला गौरी के इस व्रत को करने से सुहागन स्त्रियों को वैवाहिक सुख और संतान संबंधी सभी परेशानियों से छुटाकरा मिलता है। इतना ही नहीं अगर कोई कुंवारी कन्या इस व्रत को करती है तो उसकी विवाह में आ रही सभी बाधांए भी समाप्त होती है। इसलिए यह व्रत अत्यंत लाभकारी और श्रेष्ठ कहा गया है।
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